गुरुवार, 2 मार्च 2017

लोकरंग छायांकन

दृश्य कलाओं का छायांकन एक मुश्किल काम है इसमें कुछ भी पूर्व सुनिश्चित नहीं होता बल्कि जो मंच पर घटित हो रहा होता है उसी में से एक निश्चित समय में चयन कर रहा होता है प्रकाशन संचालन का सारा दारोमदार एक अच्छी तस्वीर का आधार होता है लेकिन यह स्थिति किसी छायाकार के द्वारा नियंत्रित नहीं होती छायाकार को उचित दृश्य के उचित कंपोजीशन को ध्यान में रखकर ही हर दृश्य क्लिक करना होता है लोकरंग के कुछ दृश्यों का छायांकन मैने यहां किया है यह तस्वीरें मोबाइल कैमरे से उतारी गई हैं

लोक कलाकारों का सम्मान

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में चल रहे नाट्य उत्सव मैं मध्य प्रदेश से आए लोक कलाकारों को सम्मानित करने का गौरवपूर्ण अवश्य मुझे उनकी प्रस्तुति देखने के बाद मिला इन लोक कलाकारों से मिलकर बेहद प्रसन्नता हुई यह मुझे अपने अंतर्मन से भी बेहद निश्चल लगे और इनकी प्रस्तुति तो लाजवाब थी ही प्रेक्षागृह में दर्शकों ने मंत्रमुग्ध कर इनकी प्रस्तुति को देखा इस अवसर पर वरिष्ठ रंग निदेशक डॉक्टर अनुपम आनंद ने कहा की आने वाला वक्त इन्हीं लोक कलाकारों का है और इन्हें अपनी जड़ों से कोई हटा नहीं सकता  ।
सभी चित्रों के छायाकार वरिष्ठ पत्रकार वरिष्ठ फोटोग्राफर विकास चौहान रिपोर्ट अजामिल

बुधवार, 1 मार्च 2017

नाट्य कला में वेद मूलकता

नाट्यकला में वेद मुलकता
एक अविस्मरणीय संगोष्ठी वैचारिक सघनता में डूबे रहे ज्ञान पिपासु
इलाहाबाद संग्रहालय ने अपने 87 वे स्थापना दिवस के अवसर पर संग्रहालय परिसर में अवस्थित पंडित ब्रजमोहन व्यास सभागार में सघन वैचारिक ऊर्जा से भरी हुई विचार संगोष्ठी नाट्यकला मैं वेद विषय पर आयोजित की इस संगोष्ठी में विद्वान वक्ताओं में संस्कृत नाटकों मर्मज्ञ ओमप्रकाश पांडे संस्कृत हिंदी और पाश्चात्य नाटकों के विशेषज्ञ प्रोफेसर कमलेश्वर त्रिपाठी तथा नृत्य कला में पारंगत विदुषी विश्व प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री गीता चंद्रन उपस्थित रहें इस कार्यक्रम का विद्वत्तापूर्ण संचालन राजेश मिश्रा किया इस तरह से राजेश मिश्रा की सहभागिता भी चौथे वक्ता के रूप में उपस्थित स्वीकार की गई सच तो यह है कि इस तरह की संगोष्ठी बहुत दिनों के बाद इलाहाबाद में हुई पर इसका कारण इलाहाबाद संग्रहालय निदेशक राजेश पुरोहित जी की प्रयोगधर्मिता को माना जा रहा है इस संगोष्ठी में विद्वान वक्ता प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडेय संस्कृत के विश्वविख्यात ग्रंथों से भरत नाट्यशास्त्र और नाट्यकला में विनम्रता के साथ तार्किक ढंग से समाहित हुए तत्वों की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया उन्होंने स्पष्ट संकेत किया की विश्व नाट्य कला के साथ समाज के रिश्ते को गहरे तक जांचने-परखने के बाद नाट्य कला सूत्रों में पिरोई जा सकी श्री पांडे ने उन तत्वों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया जिन की उपस्थिति में ही कोई नाटक नाटक बनता है नाट्य कला और नृत्य कला को समान रुप से देखने और और व्यवहार रूप में स्वीकार किए जाने का आग्रह करते हुए विदुषी नृत्यांगना गीता चंद्रन ने कहा की नाट्यकला देश काल और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है कलाकार को अंतिम समय में एक सार्थक निर्णय लेने की चुनौती का सामना करना पड़ता है और वही परिवर्तन व्यवहारिक भी होता है भरत नाट्यशास्त्र और पश्चिम के नाट्य प्रतिमानों के हवाले से प्रोफेसर कमलेश दत्त त्रिपाठी ने नाट्य कला की अनेक विशेषताओं को रेखांकित किया उन्होंने कहा की परंपराओं की सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही किसी मौलिक सृजन की संभावनाएं नाट्यकला में विकसित होती है नाट्यकला एक ऐसी विरासत है जिसका आधार वह परंपराएं हैं जो नाट्य अनुभवों और अनुभूति के रूप में हमें प्राप्त हुई है वक्ता के रूप में राजेश मिश्रा जी ने तमाम ऐसे मुद्दों को उठाया जिसके सहारे से अन्य विद्वान वक्ताओं को अपनी बात रखने में पूरा सहयोग मिला इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने इस संगोष्ठी को नाट्यकला को सीखने और समझने का एक स्वर्ण अवसर बताया और कहा कि इस संगोष्ठी से इलाहाबाद संग्रहालय का सम्मान बढ़ा है इस अवसर पर इलाहाबाद के तमाम लेखक कवि साहित्यकार बुद्धिजीवी और रंगकर्मी आरंभ से अंत तक उपस्थित रहे और सभी ने एक स्वर से कहा की संगोष्ठी ने सबको वैचारिक स्तर पर अभिभूत कर दिया है ऐसी संगोष्ठियां आज की आवश्यकता है ।
चित्र एवं रिपोर्ट अजामिल

कर्णभारम् की शानदार प्रस्तुति

कर्णभारम ,इन्दवती नाट्य समिति सीधी की प्रस्तुति
सभी चित्रों के छायाकार विकास चौहान
कला समीक्षक अजामिल

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित दो दिवसीय नाट्य उत्सव में इंद्रवती नाते समिति सीधी छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने लोकरंग में डूबी कर्णभारम् की अत्यंत मर्मस्पर्शी और अपने देश की संस्कृति का गहरा एहसास कराती प्रस्तुति की इस लोकनाट्य मैं कर्ण की भूमिका सहित सभी कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से सब का मन मोह लिया लोक नाट्य मैं नदी के प्रवाह जैसी गति थी हृदय में उतर जाने वाला संगीत सबको बांधे हुए था और सभी कलाकार अपनी भूमिकाओं को पूरी शिद्दत के साथ जी रहे थे वेशभूषा अत्यंत खूबसूरत थी और कलाकार भी अपनी भूमिका के अनुसार सुंदर और आंखों को लुभा लेने वाले थे 800 किलोमीटर की दूरी तय करके छत्तीसगढ़ के यह कलाकार इलाहाबाद इसलिए आए थे कि उन्हें यह मालूम था की रंगमंच के क्षेत्र में इलाहाबाद एक सर्वस्वीकृत मानक है पर यहां आने पर छत्तीसगढ़ के उन मेहमान रंगकर्मियों को उस समय बहुत दुख हुआ जब प्रेक्षागृह में 15 और 20 लोग भी की प्रस्तुति को देखने के लिए उपस्थित नहीं थे लोग क्यों नहीं आए यह पूछने का साहस ना उन कलाकारों में था ना इसका कारण बताने की की हिम्मत इलाहाबाद के किसी रंगकर्मी में थी कौन बताता इलाहाबाद में रंगकर्मी ही एक दूसरे की नाट्य प्रस्तुतियां देखने के लिए नहीं जाते शायद यही वजह है कि इलाहाबाद के रंगमंच पर सब कुछ है परंतु इस सब कुछ को सहने वाले दर्शक नहीं है जिन लोगों ने छत्तीसगढ़ के उन बेहतरीन कलाकारों की प्रस्तुति कर्णभारम् नहीं देखी उन्होंने एक बहुत अच्छी प्रस्तुति है देखने और उससे कुछ सीखने का अवसर खो दिया रंगकर्मी यदि चाहते हैं कि उनकी प्रस्तुतियों में नए रंगकर्मी छूटते रहे तो इसके लिए आवश्यक है कि पहले वह एक दूसरे की प्रस्तुति को देखने और सराहने की आदत डालें दर्शक सच्चे दर्शक आखिर उनका ही तो अनुकरण करेंगे रंगकर्मियों का भरोसा दर्शकों का भरोसा होगा ।
रंग समीक्षक अजामिल
इस विशेष लोकरंग प्रस्तुति के चित्रों का छायांकन वरिष्ठ छायादार विकास चौहान ने किया है और इसका वीडियो बनाया है अजामिल  ने ।

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

लड़कियां झूमती है हवा सी

जगत तारन गर्ल्स कॉलेज परिसर मै अवस्थित रवींद्रालय मैं कॉलेज की प्रतिभाशाली छात्राओं ने कार्यक्रम में नृत्य की यादगार प्रस्तुति
चित्र अजामिल

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

×× किस्सा हकीम साहब का :

































        एक कसी हुई प्रस्तुतिइलाहाबाद की जानीमानी नाट्य संस्था ' समयांतर ' ने मनोज मित्र लिखित नाटक ' किस्सा हकीम साहब का ' की युवा नाट्य निर्देशक दीपक सिंह के।निर्देशन में की । उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में प्रस्तुत इस नाटक में लोगों को पर्यावरण की लोगों का ध्यान खींचा ।  अच्छी बात यह थी क़ि यह नाटक हंसी हंसी में गंभीर विमर्श के लिए दर्शकों को तैयार करता है । प्रस्तुति बेहद कसी हुई थी ।सभी पात्रों ने बहुत अच्छा अभिनय किया । प्रकाश संचालन और अच्छा हो सकता था । संगीत पक्ष कथानक के अनुरूप था जिससे नाटक में भराव पैदा हुआ । राकेश वर्मा इस नाटक के प्रस्तुति संचालक थे जिससे नाटक को काफी बल मिला । इस अवसर पर मैंने यानि अजामिल और वरिष्ठ रंगकर्मी अतुल यदुवंशी ने कलाकारों को सम्मानित किया ।
    * कला समीक्षक : अजामिल
    * सभी चित्र : विकास चौहान