मंगलवार, 12 सितंबर 2017

नाटक नटसम्राट की प्रस्तुति के अवसर के कुछ झलकियां

*दो पद्मश्री मनीषियों का मिलन
** पद्मश्री वरिष्ठ रंगकर्मी बंसी कौल को मिला समानांतर सम्मान
इलाहाबाद की सुप्रसिद्ध नाट्य संस्था समानांतर इंटीमेट थिएटर ने अपने 40 में स्थापना दिवस के मौके पर देश के वरिष्ठ रंगकर्मी पद्मश्री बंसी कौल को समानांतर सम्मान देकर स्वयं को गौरवान्वित किया । यह समानांतर सम्मान बंसी कौल को उर्दू साहित्य के लिए मनीषी और आलोचक पद्मश्री शम्सुर्रहमान फारूकी ने सभी औपचारिकताओं के साथ बंसी कौल को देते हुए कहा की बंसी कौल उन रंगकर्मियों में है जिन्होंने नाटकों की प्रस्तुतियां तो की ही हैं नाटकों के विभिन्न पहलुओं पर बहुत गहराई पर जाकर काम किया और अनुकरण और अनुसरण के योग्य अनेक मानक तैयार किए उनके बहुत से शिष्य हैं जो देशभर में रंगकर्म कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि वह  बहुत दिनों के बाद बंसी कौल से मिले हैं और उनके साथ बिताएं वक्त की यादें आज भी ताजा हैं । बंसी कौल एक खूबसूरत शख्सियत के मालिक है उनके जैसे लोगों को सामाजिक सरोकारों से जुड़े कलाओं में ही रहना चाहिए ताकि इंसानियत बनी रह सके  ।  शम्सुर्रहमान फारूकी ने बंसी कौल का शुक्रिया अदा किया और कहां कि उनका इलाहाबाद आना बहुत खुशी की बात है । वह इस शहर को बहुत कुछ देकर जा रहे है । इस अवसर पर सुप्रसिद्ध नाटककार और अभिनेता विभांशु वैभव भी उपस्थित रहे । इस कार्यक्रम के अतुल यदुवंशी प्रवीण शेखर नंदल हितैषी अभिलाष नारायण अजय मुखर्जी मलय मिश्रा अनुपम आनंद अजय केसरी सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ कनिष्ठा और युवा रंगकर्मी साक्षी रहे ।
**अजामिल
**चित्र विकास चौहान

सोमवार, 11 सितंबर 2017

नटसम्राट

**नाटक

नटसम्राट : बदलते परिदृश्य

        में  रिश्तो की पड़ताल

भोपाल की सुपरिचित नाट्य संस्था एकरंग ने  इलाहाबाद की  बहुचर्चित  रंगसंस्था ं समानांतर इंटीमेट थिएटर के 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित त्रिदिवसीय नाट्य उत्सव में अंतिम दिन नाटक नटसम्राट का दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाला शानदार मंचन किया ।

इस नाटक के मुख्य कलाकार आलोक चटर्जी ने नटसम्राट की यादगार भूमिका निभाई । यह नाटक समाज में रिश्तो में आ रही गिरावट की पड़ताल करता है और हमें यह बताता है कि सच्चे रिश्ते वही होते हैं जिन्हें दिल स्वीकार कर लेता है । सच ही रिश्तो के लिए खून का रिश्ता होना जरुरी नहीं है । यह नाटक अपने कथ्य में जिंदगी से जुड़े ऐसे फ़लसफे को लेकर सामने आता है जो हमें वैचारिक स्तर पर झकझोर कर रख देता है और हम अपने बाहर और अंदर की दुनिया में अपनी हैसियत की तलाश करने लगते है ।ं अच्छी बात यह है क़ि यह नाटक हमें दुनिया का डर नहीं दिखाता बल्कि हमें एक मानवीय उम्मीद से जोड़ता है और हमें आशावादी बनाता है । आलोक चटर्जी ने नटसम्राट की भूमिका को इस शिद्दत से जिया है कि उनकी एक एक भावभंगिमा बरसों बरस रंग प्रेमियों को याद रहेगी । इलाहाबाद में बहुत दिनों के बाद कोई इतना अच्छा नाटक हुआ है जिसने दर्शकों में नाटकों के प्रति एक बार फिर विश्वास पैदा किया और थियेटर में दर्शकों के फिर वापसी हुई।  इस प्रस्तुति के अन्य पात्र किसी भी दशा में आलोक चटर्जी के अभिनय से कमतर नहीं थे बल्कि उन्होंने अपने अभिनय से आलोक चटर्जी के अभिनय को शिखर तक पहुंचाने में बड़ी कामयाबी हासिल की । खास तौर पर  अभिनेत्रियों ने तो कमाल का अभिनय किया है । इन अभिनेत्रियों के साथ अभिनेता आलोक चटर्जी की केमिस्ट्री देखने लायक थी । आलोक चटर्जी ने अपने अभिनय में यह दिखा दिया क़ि मंच पर अन्य कलाकारों को कैसे सहयोग किया जाता है और कैसे सहयोगी कलाकारों की भूमिका को नाटक के ग्राफ में ऊपर उठाया जाता है । नटसम्राट एक ऐसा नाटक है जो हर पहलू से कसा हुआ है । इसकी स्क्रिप्ट लाजवाब है और हमारी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ कहती है । साथ ही हमारा मनोरंजन भी करता है ।इसमें जितना भी  ड्रैमेटिक रिलीफ शामिल किया गया है उसमें व्यंग की छोटी-छोटी चुटकियां है जो हमारी असलियत को सामने लेकर आती हैं । मंच पर नटसम्राट के इर्द-गिर्द जिस वातावरण को संगीत और प्रकाश के माध्यम से पैदा किया गया, उसने नाटक के सच को उभारने में बहुत मदद की । वेशभूषा बिल्कुल वैसी ही थी जैसा नाटक डिमांड करता था । सबसे अच्छी बात यह थी कि इस नाटक में जितने भी कलाकार थे , उनमें से सभी की आवाज एक बेहतर थ्रो के साथ मंच के अनुकूल थी और हृदय को स्पर्श करती थी । यहां तक क़ि वह छोटी सी बच्ची भी जब बोलती थी अपने दादू के साथ तो उसकी आवाज भी अपनी ओर आकर्षित करती थी । इसमें कोई संदेह नहीं क़ि यह नाटक इन सभी अभिनेता-अभिनेत्रियों ने कई कई बार किया है इसलिए भी यह नाटक कमोबेश हमेशा अच्छा रहता है । भोपाल के इन कलाकारों ने आकर इलाहाबाद के रंग जगत को एक शानदार प्रस्तुति दिखाई।  हम सब इन कलाकारों के बहुत आभारी हैं और आल इंडिया न्यू थिएटर एकरंग नाट्य संस्था भोपाल को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं देता है ।

**समीक्षक : अजामिल

**सभी चित्र : विकास चौहान

रविवार, 10 सितंबर 2017

नुक्कड़ नाटक रसप्रिया

** समानांतर चार दशक उत्सव** तीसरे दिन हुए नाटक रसप्रिया की प्रस्तुति** निर्देशन अनिल रंजन भौमिक

इलाहाबाद की सुपरिचित नाट्य संस्था समानांतर इंटीमेट थिएटर के 40वें स्थापना दिवस के मौके पर संस्था से संबंधित रंगकर्मियों ने कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की सुप्रसिद्ध कहानी रसप्रिया की एकल प्रस्तुति नुक्कड़ नाटक शैली में की यह नाटक एक लोक कलाकार के जीवन की त्रासदी को सामने लाता है इस नाटक को देखने के लिए वरिष्ठ नाट्य निर्देशक बंसी कौल साहित्यकार नंदल हितैषी रंगकर्मी अजय केसरी फरिश्ते छायाकार विकास चौहान सहित बड़ी संख्या में रंगकर्मी और रंग प्रेमी उपस्थित रहे इस प्रस्तुति में युवा रंगकर्मी धीरज कुमार ने प्रमुख भूमिका निभाई जिसकी मुक्तकंठ से लोगों ने सराहना की ।

** अजामिल

सभी चित्र :विकाज़ चौहान

रविवार, 3 सितंबर 2017

गुनाहों का देवता

।नाटक/ रेटिंग ****
**गुनाहों का देवता
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कामचलाऊ प्रेक्षागृह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार उपन्यासकार डॉक्टर धर्मवीर भारती के बहुचर्चित उपन्यास गुनाहों का देवता पर आधारित नाटक का सफल मंचन किया गया । इस उपन्यास के विस्तार का पूरी सूझ-बूझ के साथ नाट्य रूपांतरण करने का काम युवा रंगकर्मी रितिका अवस्थी ने किया । यह एक मुश्किल काम था लेकिन रितिका ने इसे कर दिखाया । यह एक अलग बात है क़ि पूरी स्क्रिप्ट को एक बार समीक्षात्मक दृष्टि से देखते हुए मंच के अनुशासन में इसका पुनरावलोकन जरूरी है और स्क्रिप्ट भाषा के स्तर पर एक बार पुनः चमकाए जाने की मांग करती है । स्क्रिप्ट के कुछ हिस्से बोलने वाली हिंदी में ना होकर लिखने वाली साहित्यक हिंदी में है जिसके कारण वे हिस्से पात्रों की संवेदना के प्रभाव में बाधा लग रहे हैं । ऐसा अक्सर होता है इसीलिए बहुत जरुरी होता है कि रूपांतरण को कई कई बार देखा पढ़ा और लिखा जाए । रितिका ने डॉक्टर धर्मवीर भारती के बेशक लोकप्रिय लेकिन शुरुआती दौर के उपन्यास का रूपांतरण के लिए चयन किया है, जाहिर है कि रितिका को उपन्यास की भाषा को नाटक की भाषा में तब्दील करने का काम भी करना है जोकि वह अपनी स्क्रिप्ट को रिव्यू करते समय बहुत आसानी से कर सकती है । इस प्रस्तुति की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसे रंग निर्देशिका रितिका अवस्थी कर रही है जोकि स्वयं एक सिद्ध अभिनेत्री है और मंच के अनुशासन को बेहतर ढंग से समझती है । मुझे लगता है कि 2-4 प्रस्तुतियों के बाद रितिका अवस्थी की यह नाट्य प्रस्तुति हिंदी की बेहतर प्रस्तुतियों में शामिल हो जाएगी । फिलहाल इस प्रस्तुति में लगभग सभी कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता का सर्वोत्तम देने की कोशिश की । आलोक नायर ,शैलेश श्रीवास्तव जैसे अनुभवी कलाकार नाटक की गति को बराबर बनाए रहे । पूरी प्रस्तुति मंच पर 3 ज़ोन के दायरे मे विभजित थी । ये ज़ोन इतने पास पास थे क़ि एक ज़ोन की गतिविधि का एहसास दूसरे ज़ोन मे महसूस किया जा सकता था । संगीत पक्ष पर आगे की प्रस्तुतियों में फिर से विचार करना चाहिए । इसी तरह प्रकाश संचालन मेँं भी तार्किक रचनात्मकता का अभाव था । मंच पर  प्रकाश था  लेकिन प्रकाश परिकल्पना  नहीं थी । यह सारी चीजें धीरे-धीरे दुरुस्त होती चलती है इसलिए इन्हें लेकर मंच पर प्रयोग चलते रहेंगे और ऐसा करने के लिए रितिका अवस्थी पूरी तरह समर्थ है । ऑल इंडिया न्यू थिएटर इस प्रस्तुति की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता है । रितिका के प्रयास से एक नया नाटक हिंदी नाटकों की फेहरिस्त में ससम्मान शामिल हुआ है । डॉक्टर धर्मवीर भारती का यह उपन्यास छोटी छोटी घटनाओं की स्मृतियों का कोलाज है जो अपने समय के प्रेम से जुड़े मूल्यों की पड़ताल करता है । यह नाटक एक बार फिर वैचारिक स्तर पर सोचने के लिए विवश करेगा । रितिका अवस्थी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।  उन्होंने एक बड़े काम का शुभारंभ किया है और नए रंगकर्मियों के लिए प्रेरणा के सूत्र दिए है ।
** समीक्षक / अजामिल
** सभी चित्र / विकास चौहान

शनिवार, 2 सितंबर 2017

नाटक महादेव की शानदार प्रस्तुति

इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में आज नाटक की अंतरंग शैली मैं इलाहाबाद की सुप्रसिद्ध नाट्य संस्था समयांतर इंटीमेट थिएटर ने विश्व प्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपियर का बहुचर्चित नाटक मैकबेथ पर आधारित नाट्य रूपांतरण महादेव की प्रस्तुति की इस नाटक का रूपांतरण हिंदी के नाटककार सुमन कुमार ने किया था यह नाटक दर्शकों के लिए एक अलग तरह का अनुभव था ।
सभी चित्र : अजामिल