गुरुवार, 18 सितंबर 2025

हमारी जमीन खाली करो /अजामिल पंजाब की बाढ़: प्रकृति का संदेश और हमारी जिम्मेदारी नदिया चाहती है कि हम उनकी जमीन उन्हें वापस कर दें नदियों के गुस्से का बुलडोजर हमारा अस्तित्व ही मिटा देगा ।यह सच है कि देश के वे सभी छोटे-बड़े शहर, जो नदियों के किनारे बसे हुए हैं, इस समय भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं। जान-माल का भारी नुकसान हो चुका है। इस आपदा से निपटने की लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन ज़रूरतों को देखते हुए ये प्रयास बहुत कम प्रतीत हो रहे हैं। लोगों के मन में यह एहसास और गहरा होता जा रहा है कि दुनिया भर में मनुष्य प्रकृति के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा है। यही कारण है कि एक के बाद एक आपदाएं हमारे सामने खड़ी हो रही हैं।हम यह भूल चुके हैं कि प्रकृति का साम्राज्य इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के हित में काम करता है। यदि हम पृथ्वी के चक्र और उसके संतुलन को नुकसान पहुँचाएंगे, तो प्रकृति भी हमें क्षमा नहीं करेगी।पंजाब में बाढ़ की स्थितिपंजाब में बाढ़ की स्थिति काफी गंभीर है। राज्य के कई जिले प्रभावित हुए हैं। अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है और 22 जिलों के 2,097 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। लगभग 1.91 लाख हेक्टेयर फसल नष्ट हो चुकी है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।प्रमुख प्रभावित क्षेत्रप्रभावित जिले: 22 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिनमें अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, जालंधर और लुधियाना प्रमुख हैं।नदियाँ: सतलुज, ब्यास और रावी नदियाँ उफान पर हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और भी भयावह हो गई है।गांव: 2,097 गांव बाढ़ की मार झेल रहे हैं, जहाँ से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।राहत और बचाव कार्यसरकारी प्रयास: पंजाब सरकार राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय है। सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार काम कर रही हैं।स्वास्थ्य शिविर: सरकार ने स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं, जिनसे अब तक 1.5 लाख लोग लाभान्वित हो चुके हैं।केंद्रीय सहायता: केंद्र सरकार ने भी राहत कार्यों में सहयोग हेतु केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पंजाब भेजा है।चुनौतियाँमौसम: मौसम विभाग ने कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ सकती है।बुनियादी ढांचा: बाढ़ ने सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे को बुरी तरह नुकसान पहुँचाया है।समाजसेवी संस्थाओं की भूमिकापंजाब में आई इस आपदा के दौरान समाजसेवी संस्थाएं सक्रिय रूप से राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।राहत सामग्री वितरण: राशन किट, पानी की बोतलें, दवाइयाँ, दलिया और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की जा रही है। हरिद्वार से भूपेंद्र कुमार की टीम ने 200 राशन किट और सामग्री पंजाब भेजी है।चिकित्सा सहायता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और स्वदेशी जागरण मंच ने AIIMS बठिंडा और सीमा सुरक्षा बल के साथ मिलकर बड़े मेडिकल कैंप आयोजित किए हैं। यहाँ नेत्र, त्वचा, अस्थि रोग और स्त्री रोग विशेषज्ञों ने एक हजार से अधिक ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएँ दीं।स्वच्छता और स्वास्थ्य: बाढ़ के बाद बीमारियों से बचाव के लिए स्वदेशी जागरण मंच ने ब्लिचिंग पाउडर, फिनायल और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया है।राहत शिविर: पंजाब सरकार और समाजसेवी संस्थाएं मिलकर 122 राहत शिविर चला रही हैं, जिनमें अब तक 14,936 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।स्थानीय सहयोग: गुरुग्राम से 3,200 राहत किट अमृतसर जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भेजी गईं, जिनमें आटा, चावल, दाल, तेल, नमक और अन्य आवश्यक वस्तुएँ शामिल थीं।संयुक्त प्रयास: एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, पंजाब पुलिस और समाजसेवी संस्थाएं मिलकर राहत कार्य कर रही हैं।प्रकृति से सबकहमें यह सोचना होगा कि अपने आर्थिक लाभ के लिए हमने अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की और उन ज़मीनों पर कब्ज़ा किया, जिन पर नदियों का अधिकार था। हमने नदियों के घरों में प्रवेश कर वहाँ अपना साम्राज्य बनाने का दुस्साहस किया। अब जब नदियाँ उफान पर हैं, तो वे अपनी ज़मीन वापस चाहती हैं। नतीजा यह है कि नदियाँ अपने मार्ग से मनुष्य का अतिक्रमण बिना किसी बुलडोज़र के हटा रही हैं।हमें इस संवेदनशीलता को समझना होगा। यदि हमने समय रहते प्रकृति के संदेश को नहीं सुना, तो आने वाली पीढ़ियों के सामने ऐसी आपदाएं और भी विकराल रूप लेकर खड़ी होंगी।— अजामिल

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