गुरुवार, 9 अगस्त 2018

प्रेम मैं डूबी एक एक्ट्रेस का सच पार्ट टू

**नाटक
**रंग कलश  ने की नाटक एक्ट्रेस की शानदार प्रस्तुति लाजवाब किस्सागोई के कारण कथाकार प्रेमचंद फिल्म और मंच दोनों की सफलता को सिद्ध कर चुके हैं उनकी लिखी लगभग 450 कहानियों में अधिकतर कहानियां ऐसी हैं जो कमोबेश लोकप्रिय है प्रेमचंद की 12 कहानियां तो ऐसी है जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति का कथाकार सिद्ध करती है 50 कहानियां ऐसी है जो खूब  पढ़ी गई बरहाल इन दिनों हिंदी रंगमंच के सर्वाधिक डिमांड वाले कथाकार है पिछले दिनों इलाहाबाद की नवोदित नाट्यसंस्था रंग कलश ने प्रेमचंद की कहानी एक्ट्रेस पर आधारित नाट्य रूपांतर का सफलतापूर्वक शानदार मंचन किया आज के दौर के दर्शकों को यह कहानी पुराने जमाने के जीवन मूल्यों को खंगालती हुई लगेगी इसकी एक वजह यह भी है की ऐसी ही कहानियों पर हिंदी में हिंदी में खूब फिल्में बड़ी है लेकिन यह कहानी महत्वपूर्ण इसलिए है कि प्रेमचंद नहीं कहानी मे जिन जीवन मूल्यों की चर्चा की है उस समय तक इस पर कोई बात भी नहीं करता था इस कहानी का नाट्य रूपांतर नवोदित रंग निर्देशिका सफलता श्रीवास्तव ने किया है और अच्छा किया है समय के अनुसार इसमें आज को जोड़ने की कोशिश की गई है कहानी के कहने के अंदाज में भी बदलाव किए गए हैं कई जगह पर प्रतीकों का इस्तेमाल भी हुआ यथोचित संवादों में भी परिवर्तन हुए कंटेंट को  बचाए रखने की बचाए रखने की पुरजोर कोशिश भी नाटक में शुरू से अंत तक दिखाई दी जब किसी कहानी को नाटक में तब्दील किया जाता है तो निर्देशक को यह अधिकार होता है कि वह कहानी का सरलीकरण करें और कथा के प्रवाह को बनाए रखें सफलता ने ऐसा किया और सफल हुई कथा के साथ दर्शक अंत तक बंधे  रहे अच्छी बात यह रही कि इसमें मुख्य भूमिका तारा देवी की स्वयं निर्देशिका सफलता श्रीवास्तव ने निभाई शायद यही वजह थी कि वह इस पात्र को शिद्दत से फील कर सकी फील के कारण ही यह नाटक कहीं पर भी कमज़ोर नहीं पड़ा नाटक के सभी सहयोगी कलाकारों ने तारा देवी के अभिनय को बहुत सपोर्ट किया नाटक का संगीत पक्ष बहुत अच्छा था जिसने उस दौर के माहौल को सजीव बनाने में बहुत मदद की कुछ कलाकारों की संवादों की अदायगी में वॉइस का पिच कम था जिसकी वजह से संवादों को सुनने में थोड़ी सी परेशानी पैदा हुई मंच का सेंटर जोन दो  लाइट  की  सीमा में बांध दिया गया था जिसकी वजह से अभिनेताओं को बहुत टाइट फ्रेम मे अभिनय करना पड़ रहा था यह जोन थोड़ा और बड़ा होता तो तारा देवी का अभी नहीं और सजीव हो जाता सफलता ने प्रेमचंद कि एक मुश्किल कहानी को मंच पर लाने की कोशिश की और इसमें सफलता हासिल की वरुण कुमार ने कुछ दृश्यों के लिए संवाद लिखे जो आज के दर्शकों के मिजाज को देखते हुए उचित लग रहे थे और इन में रोचकता बनी हुई थी नाटक का अन्य पक्ष भी सही ढंग से संपादित किया गया था सफल प्रयास के लिए ऑल इंडिया न्यूज़ थिएटर उन्हें बहुत-बहुत बधाई देता है और उम्मीद करता है कि इस नाटक के अगले संस्करण और बेहतर आएंगे इस मौके पर इलाहाबाद वरिष्ठ रंगकर्मी अजीत विक्टर नाथ का सम्मान भी किया गया
समीक्षक अजामिल
सभी चित्र विकास चौहान

इस अवसर पर इलाहाबाद के वरिष्ठ रंगकर्मी सचिन चंद्र के पिता के निधन की सूचना प्राप्त होने पर रंगकर्मियों और रंग प्रेमियों ने 2 मिनट का मौन रखकर उनके पिता की आत्मा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिससे रंग परिवार की एकता का भी पता चला

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