बुधवार, 17 सितंबर 2025

मोबाइल फोन पर रील का चक्कर/अजामिल मोबाइल फोन: संवाद का साधन या मनोरंजन का उपकरण?भारत में मोबाइल फोन संवाद से अधिक मनोरंजन का साधन बन चुका है। औसतन हर उपयोगकर्ता दिन के दो-तीन घंटे मोबाइल पर व्यतीत करता है। बातचीत की तुलना में लोग मनोरंजन को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। इसीलिए थोड़ी देर नेटवर्क बंद होते ही बेचैनी महसूस होने लगती है।पहले यात्रा के दौरान सहयात्रियों से बातचीत और मेलजोल होता था, अब अधिकांश लोग मोबाइल में डूबे रहते हैं। विदेशों में मोबाइल फोन केवल आवश्यक संवाद का माध्यम है, जबकि भारत में यह अंतहीन स्क्रोलिंग और त्वरित मनोरंजन का साधन बन गया है।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने लंबे कार्यक्रमों की जगह छोटे-छोटे वीडियो यानी रिल्स लोकप्रिय कर दिए हैं। ये 1–3 मिनट की क्लिप मनोरंजन तो देती हैं, लेकिन कई बार भ्रामक, अश्लील या सतही सामग्री भी परोसती हैं। इनके लगातार देखने से यह आदत नशे जैसी बन जाती है। विशेषकर बच्चे और किशोर घर से बाहर निकलने और खेलों से दूर हो रहे हैं, जबकि इन छोटे वीडियो से उन्हें न तो सीख मिलती है और न ही चरित्र निर्माण होता है।मोबाइल फोन पर 60% से अधिक सामग्री उपयोगी और ज्ञानवर्धक भी है, बशर्ते उसे खोजा जाए। लेकिन आम तौर पर लोग जो सामने आता है, उसी तक सीमित रहते हैं।निष्कर्ष: मोबाइल फोन स्वयं में बुरा नहीं, बल्कि अत्यंत उपयोगी साधन है। समस्या उसका असंतुलित प्रयोग है। व्यक्तिगत, पारिवारिक और सरकारी स्तर पर संतुलन बनाना ज़रूरी है ताकि मोबाइल हमारे जीवन को सहयोग दे, पर नियंत्रण न करे।

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