*लोकार्पण उत्सव *
नाटक महारथी का विमोचन
इलाहाबाद की जानी-मानी नाट्य संस्था बैकस्टेज के तत्वावधान मैं सुप्रसिद्ध नाटककार रंग निर्देशक और अभिनेता
विभांशु वैभव के नए नाटक महारथी का लोकार्पण प्रसिद्ध नाटककार कथाकार कवि अजित पुष्कल और साहित्य आलोचक प्रोफेसर संतोष भदौरिया लोकनाट्य विशेषज्ञ अतुल यदुवंशी आलोचक डॉक्टर अनुपम आनंद रंग निर्देशिका सुषमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार धनंजय चोपड़ा और अजामिल ने संयुक्त रुप से किया इस अवसर पर नाटककार विभांशु वैभव के पिता आदरणीय गौरी शंकर जी भी उपस्थित रहे लोकार्पण के बाद वक्ताओं ने कहा की विभांशु वैभव का नाटक महारथी विगत 20 वर्षों से देश के तमाम हिस्सों में तमाम नाट्य संस्थाओं द्वारा पूरे दमखम के साथ खेला जा रहा है और रंगकर्मी इसकी विषय वस्तु को आज के दौर का जरूरी विमर्श मानते हुए पूरे मन से नए नए प्रयोगों के साथ इसे खेल रहे हैं यह सफल नाटक नाटक की कसौटी पर पूरी तरह से जाने के बाद प्रकाशित हुआ है निश्चय ही यह हिंदी रंगकर्म के लिए बहुत बड़ी बात है ऐसा ही होना चाहिए विभांशु वैभव भी इस नाटक को नाटक के क्राफ्ट के स्तर पर तथा विषय वस्तु को लेकर लगातार सतर्क रहे और उन्होंने इसके प्रकाशन में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई महाभारत के महारथी और उपेक्षित पात कर्ण्र के अंतर्द्वंद और संघर्षों की कहानी को कहता यह नाटक आज इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि कर्ण आज के समाज में भी उसी संघर्ष और उपेक्षा को झेल रहा है इसमें कोई शक नहीं कि नाटककार ने कर्ण को केवल एक मिथक ही नहीं रहने दिया है बल्कि उसके अंतर्द्वंद के जरिए तमाम ऐसे सवाल उठाए हैं जिसके जवाब आज भी संवेदनशील समाज मांग रहा है क्राफ्ट के स्तर पर यह नाटक बेहद कसा हुआ है और सबसे बड़ी बात यह है कि यह नाटक अत्यंत पठनीय है आमतौर पर नाटक पठनीय नहीं होते उनकी प्रस्तुति में ही पता चलता है कि नाटक क्या है लेकिन महारथी एक ऐसा नाटक है जो अपनी पठनीयता में ही पाठक को न सिर्फ अपनी गिरफ्त में ले लेता है बल्कि उसे विमर्श के लिए तैयार भी करता है इस नाटक के संवाद नाटकीयता से बहुत दूर है बल्कि नाटक को पढ़ते और खेलते समय ऐसा लगता है जैसे यह किसी संवेदनशील व्यक्ति की सोचने की भाषा है नाटक में शब्दाडंबर नहीं बल्कि शब्द और कथ्य की सहज सार्थक अभिव्यक्तिै है जिसके कारण इसकी संप्रेषणीयता बहुत ज्यादा महसूस की गई है यह नाटक स्तब्ध कर देता है और हमें तैयार करता है कि हम अपने समाज के बारे में एक बार फिर सोचें और बार बार सोचें इस विशेष कार्यक्रम में इलाहाबाद के तमाम जाने माने रंगकर्मी उपस्थित रहे विभांशु वैभव ने भी नाटक के संदर्भ में अपनी बातें रखी और उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत संतोष है कि उनका नाटक लगातार रंग संस्थाओं द्वारा खेला जा रहा है और यही उनकी सफलता भी है ।
** चित्र व रिपोर्ट अजामिल
न्यू थियेटर देश विदेश के सभी रंगकर्मियों के लिए एक खुला मंच है | इसके ज़रिये रंगकर्मी नाटको से जुडी समस्यों के बारे मे बातचीत के लिए सादर आमंत्रित है | इस खुले मंच पर आप अपने लेख अपनी नाट्य संस्था की गतिविधियाँ, नाट्य उत्सवो की सूचना और रंग कर्मियों के परिचय, पते, संपर्क सूत्र प्रकाशनार्थ भेज सकते है ,हमारा संपर्क सूत्र है मोबाईल नंबर - 9889722209
शनिवार, 24 फ़रवरी 2018
महारथी का लोकार्पण
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sir if possible then how I get the PDF of play MAHARATHI-VIBHANSHU VAIBHAV.... IF ANYONE HAVE THEN SEND ME on WhatsApp - 9024119311
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