**नाटक
मंच पर हुई प्यार की प्रस्तुति
जितने लब उतने अफसाने
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद के प्रेक्षागृह में वैलेंटाइन डे के अवसर पर अख्तर अली द्वारा लिखित नाटक -जितने लव उतने अफसाने - की शानदार प्रस्तुति की गई । हिंदी रंगमंच पर प्रेम को प्रस्तुत किया जाना हमेशा से बहुत संवेदनशील मसला रहा है । भरत नाट्यशास्त्र के अनुशासन में कमोबेश बंधे होने के कारण हिंदी नाटक मैं प्रेम को दिखाने मैं हमेशा सीमाएं बनाकर रंगकर्मी चलते रहे हैं लेकिन इसलिए कुछ वर्षों में इस विषय को रंगकर्मियों ने पूरे साहस के साथ प्रस्तुत करने का जोखिम उठाना शुरू कर दिया है । यह अलग बात है कि इस तरह की प्रस्तुतियों में फिल्मों और टीवी धारावाहिकों का प्रभाव देखा जा सकता है । यह नाटक भी प्रेम सम्वेदनाओं का कोलाज है यद्यपि इसमें कोई ऐसी बात नहीं कही गई है जो इसके पहले फिल्म या टीवी धारावाहिकों में पेश न की गई हो । इस नाटक मैं कलाकारों ने बहुत अच्छा अभिनय किया । दोनों कलाकार काव्यात्मक रहे और बहकने की तमाम गुंजाइश के बावजूद अभिनेता और अभिनेत्री ने संतुलन बनाए रखा। कुछ कंपोजीशन बहुत ही अच्छी थी । संगीत भी यथोचित रहा जो लगातार प्रस्तुति के वातावरण को गति प्रदान कर रहा था । प्यार एक ऐसा विषय है जिसमें जरा सी चूक हो जाने पर यह हल्केपन का शिकार हो जाता है । इस प्रस्तुति में अख्तर अली का ट्रीटमेंट इस विषय के साथ पूरी संजीदगी से भरा हुआ रहा । नतीजतन इस प्रस्तुति ने कहीं-कहीं दिल को छू भी लिया । मजेदार बात यह है क़ि प्रेम की अनुभूति के बिना कोई रचना बनती भी नहीं । प्रेम साहित्यिक रचनाओं में जीवन का नव सृजन है । और यह सृजन इस प्रस्तुति में दिखाई देता है । पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई ।
**रिपोर्ट / अजामिल
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