बुधवार, 10 जनवरी 2018

नाटक हवालात की प्रस्तुति

**नाटक / बैकस्टेज  की प्रस्तुति -  हवालात  **निर्देशक / प्रवीण शेखर इलाहाबाद की सुप्रसिद्ध नाट्य संस्था बैकस्टेज ने हिंदी के चर्चित कवि पत्रकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना लिखित नाटक हवालात की प्रस्तुति कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं के साथ उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में की यह नाटक सर्दी और भूख से परेशान 3 तथाकथित आम आदमी और एक दरोगा के माध्यम से आज की सियासत में चल रहे् कुचक्र और यह भी बताता है कि किस तरह  की ओर इशारा करता है और यह भी बताता है कि किस तरह यथास्थिति बनाए रखने की साजिश चल रही है और विरोध के स्वर दबाए जा रहे हैं इस नाटक का कथ्य काफी जोरदार था लेकिन हल्के फुल्के मनोरंजन के लटके-झटकों के चलते यह नाटक कई स्थानों पर पुनरावृति का शिकार हो गया मनोरंजन नाटक के लिए बहुत जरूरी है लेकिन मनोरंजन के चलते अगर नाटक के कंटेंट को नुकसान पहुंचता है तो इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता nache निर्देशक प्रवीण शेखर को अब दर्शक एक ब्रांड की तरह लेते हैं और उनकी प्रस्तुतियों से कुछ अलग ही तरह की वैचारिक उर्जा के पैदा होने की उम्मीद करते हैं जो कि गलत भी नहीं है पिछली प्रस्तुतियों की तुलना में प्रवीण शेखर की यह प्रस्तुति अपने दर्शकों के सामने कुछ नया नहीं दे पाई यद्यपि प्रवीण शेखर ने पर उसने भी कहीं कोई कोर कसर नहीं छोड़ी बस जो कुछ मंच पर घट रहा था वह टॉम एंड जेरी कार्टून जैसा था नाटक के सभी पात्रों दे अपनी भूमिका को पूरी शिद्दत के साथ जिया और वह इस कंटेंट को संभालने में अपनी ओर से जो कुछ भी कर सकते थे उन्होंने बाकायदा कर दिखाया नाटक ही कुछ कंपोजीशन बहुत अच्छी बनी जोकि प्रवीण शेखर के विशेषता भी होती है सभी कलाकारों की संवादों की अदायगी बेशक लाउड थी लेकिन इस तरह की प्रस्तुतियों के लिए यही अंदाज जरूरी भी था प्रवीण शेखर अपनी प्रस्तुतियों में प्रोफेशनल अंदाज रखते हैं इसलिए उनके लिए प्रेक्षागृह में बैठे सभी दर्शक सिर्फ दर्शक होते हैं जिसके कारण नाटक नाटक के होने से पहले वाली नाटक नौटंकी से बच जाता है और समय बर्बाद नहीं होता यह खुशी की बात है कि प्रवीण शेखर देश के तमाम हिस्सों में इलाहाबाद के रंगमंच का शानदार प्रतिनिधित्व करते हैं और इलाहाबाद की एक पहचान सुनिश्चित करते हैं इस प्रस्तुति में मंच के कई कोने अंधेरे में डूबे रहे जिसके कारण अंधेरे में मंच पर जो कुछ घटित हुआ उसे दर्शक नहीं देख पाए ऑल इंडिया न्यू़ थिएटर प्रवीण शेखर और उनकी टीम को इस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता है और उम्मीद करता है अगली प्रस्तुति में और भी संतुलन कायम किया जाएगा ।

** समीक्षक अजामिल

** सभी चित्र विकास चौहा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें