शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

शिक्षा की दुकानें बंद हों

आज का मुद्दा
शिक्षा की दुकाने बंद हो...
**अजामिल

..शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास है। परंतु वर्तमान में अधिकतर निजी स्कूल व्यापार का रूप ले चुके हैं, जहां शिक्षा की गुणवत्ता से अधिक फीस और प्रचार पर ध्यान दिया जाता है। इन स्कूलों का संचालन अक्सर ऐसे लोगों के हाथ में है, जिन्हें न तो बाल मनोविज्ञान की समझ है, न ही शिक्षण का अनुभव।
एक बार एक शिक्षक ने कक्षा में सभी बच्चों को एक ही प्रश्न दिया: "पेड़ पर चढ़ो।" लेकिन परीक्षा में एक मछली, एक हाथी और एक बंदर भी शामिल थे। यह उदाहरण दर्शाता है कि सबको एक ही पैमाने से मापना न्यायसंगत नहीं है। हर बच्चे की क्षमता और रुचि अलग होती है; शिक्षा व्यवस्था को इसे समझकर व्यक्तिगत विकास की ओर अग्रसर होना चाहिए।
आज समय है कि हम स्कूलों की व्यवस्था और अभिभावकों की भूमिका दोनों पर पुनर्विचार करें। जब तक दोनों पक्ष मिलकर बच्चों की वास्तविक आवश्यकताओं को नहीं समझेंगे, तब तक शिक्षा केवल एक औपचारिक व्यवस्था बनी रहेगी।

साथ ही, यह भी आवश्यक है कि शिक्षक प्रशिक्षण को गंभीरता से लिया जाए। योग्य, संवेदनशील और प्रेरणादायक शिक्षक ही एक बच्चे की आंतरिक संभावनाओं को पहचान सकते हैं। तकनीक और संसाधन तभी कारगर सिद्ध होते हैं जब उनका प्रयोग समझदारी और संवेदनशीलता के साथ किया जाए।
अभिभावकों को भी केवल अंक और रिपोर्ट कार्ड से आगे सोचने की ज़रूरत है। उन्हें अपने बच्चों से संवाद स्थापित करना होगा, उनकी रुचियों को समझना होगा और उन पर विश्वास करना होगा। शिक्षा का सच्चा अर्थ तभी सिद्ध होगा जब स्कूल और घर एक साथ मिलकर बच्चे को एक स्वतंत्र, सृजनात्मक और नैतिक नागरिक बनाने की दिशा में कार्य करेंगे।
** अजामिल

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