सोमवार, 11 सितंबर 2017

नटसम्राट

**नाटक

नटसम्राट : बदलते परिदृश्य

        में  रिश्तो की पड़ताल

भोपाल की सुपरिचित नाट्य संस्था एकरंग ने  इलाहाबाद की  बहुचर्चित  रंगसंस्था ं समानांतर इंटीमेट थिएटर के 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित त्रिदिवसीय नाट्य उत्सव में अंतिम दिन नाटक नटसम्राट का दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाला शानदार मंचन किया ।

इस नाटक के मुख्य कलाकार आलोक चटर्जी ने नटसम्राट की यादगार भूमिका निभाई । यह नाटक समाज में रिश्तो में आ रही गिरावट की पड़ताल करता है और हमें यह बताता है कि सच्चे रिश्ते वही होते हैं जिन्हें दिल स्वीकार कर लेता है । सच ही रिश्तो के लिए खून का रिश्ता होना जरुरी नहीं है । यह नाटक अपने कथ्य में जिंदगी से जुड़े ऐसे फ़लसफे को लेकर सामने आता है जो हमें वैचारिक स्तर पर झकझोर कर रख देता है और हम अपने बाहर और अंदर की दुनिया में अपनी हैसियत की तलाश करने लगते है ।ं अच्छी बात यह है क़ि यह नाटक हमें दुनिया का डर नहीं दिखाता बल्कि हमें एक मानवीय उम्मीद से जोड़ता है और हमें आशावादी बनाता है । आलोक चटर्जी ने नटसम्राट की भूमिका को इस शिद्दत से जिया है कि उनकी एक एक भावभंगिमा बरसों बरस रंग प्रेमियों को याद रहेगी । इलाहाबाद में बहुत दिनों के बाद कोई इतना अच्छा नाटक हुआ है जिसने दर्शकों में नाटकों के प्रति एक बार फिर विश्वास पैदा किया और थियेटर में दर्शकों के फिर वापसी हुई।  इस प्रस्तुति के अन्य पात्र किसी भी दशा में आलोक चटर्जी के अभिनय से कमतर नहीं थे बल्कि उन्होंने अपने अभिनय से आलोक चटर्जी के अभिनय को शिखर तक पहुंचाने में बड़ी कामयाबी हासिल की । खास तौर पर  अभिनेत्रियों ने तो कमाल का अभिनय किया है । इन अभिनेत्रियों के साथ अभिनेता आलोक चटर्जी की केमिस्ट्री देखने लायक थी । आलोक चटर्जी ने अपने अभिनय में यह दिखा दिया क़ि मंच पर अन्य कलाकारों को कैसे सहयोग किया जाता है और कैसे सहयोगी कलाकारों की भूमिका को नाटक के ग्राफ में ऊपर उठाया जाता है । नटसम्राट एक ऐसा नाटक है जो हर पहलू से कसा हुआ है । इसकी स्क्रिप्ट लाजवाब है और हमारी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ कहती है । साथ ही हमारा मनोरंजन भी करता है ।इसमें जितना भी  ड्रैमेटिक रिलीफ शामिल किया गया है उसमें व्यंग की छोटी-छोटी चुटकियां है जो हमारी असलियत को सामने लेकर आती हैं । मंच पर नटसम्राट के इर्द-गिर्द जिस वातावरण को संगीत और प्रकाश के माध्यम से पैदा किया गया, उसने नाटक के सच को उभारने में बहुत मदद की । वेशभूषा बिल्कुल वैसी ही थी जैसा नाटक डिमांड करता था । सबसे अच्छी बात यह थी कि इस नाटक में जितने भी कलाकार थे , उनमें से सभी की आवाज एक बेहतर थ्रो के साथ मंच के अनुकूल थी और हृदय को स्पर्श करती थी । यहां तक क़ि वह छोटी सी बच्ची भी जब बोलती थी अपने दादू के साथ तो उसकी आवाज भी अपनी ओर आकर्षित करती थी । इसमें कोई संदेह नहीं क़ि यह नाटक इन सभी अभिनेता-अभिनेत्रियों ने कई कई बार किया है इसलिए भी यह नाटक कमोबेश हमेशा अच्छा रहता है । भोपाल के इन कलाकारों ने आकर इलाहाबाद के रंग जगत को एक शानदार प्रस्तुति दिखाई।  हम सब इन कलाकारों के बहुत आभारी हैं और आल इंडिया न्यू थिएटर एकरंग नाट्य संस्था भोपाल को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं देता है ।

**समीक्षक : अजामिल

**सभी चित्र : विकास चौहान

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