रविवार, 3 सितंबर 2017

गुनाहों का देवता

।नाटक/ रेटिंग ****
**गुनाहों का देवता
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कामचलाऊ प्रेक्षागृह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार उपन्यासकार डॉक्टर धर्मवीर भारती के बहुचर्चित उपन्यास गुनाहों का देवता पर आधारित नाटक का सफल मंचन किया गया । इस उपन्यास के विस्तार का पूरी सूझ-बूझ के साथ नाट्य रूपांतरण करने का काम युवा रंगकर्मी रितिका अवस्थी ने किया । यह एक मुश्किल काम था लेकिन रितिका ने इसे कर दिखाया । यह एक अलग बात है क़ि पूरी स्क्रिप्ट को एक बार समीक्षात्मक दृष्टि से देखते हुए मंच के अनुशासन में इसका पुनरावलोकन जरूरी है और स्क्रिप्ट भाषा के स्तर पर एक बार पुनः चमकाए जाने की मांग करती है । स्क्रिप्ट के कुछ हिस्से बोलने वाली हिंदी में ना होकर लिखने वाली साहित्यक हिंदी में है जिसके कारण वे हिस्से पात्रों की संवेदना के प्रभाव में बाधा लग रहे हैं । ऐसा अक्सर होता है इसीलिए बहुत जरुरी होता है कि रूपांतरण को कई कई बार देखा पढ़ा और लिखा जाए । रितिका ने डॉक्टर धर्मवीर भारती के बेशक लोकप्रिय लेकिन शुरुआती दौर के उपन्यास का रूपांतरण के लिए चयन किया है, जाहिर है कि रितिका को उपन्यास की भाषा को नाटक की भाषा में तब्दील करने का काम भी करना है जोकि वह अपनी स्क्रिप्ट को रिव्यू करते समय बहुत आसानी से कर सकती है । इस प्रस्तुति की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसे रंग निर्देशिका रितिका अवस्थी कर रही है जोकि स्वयं एक सिद्ध अभिनेत्री है और मंच के अनुशासन को बेहतर ढंग से समझती है । मुझे लगता है कि 2-4 प्रस्तुतियों के बाद रितिका अवस्थी की यह नाट्य प्रस्तुति हिंदी की बेहतर प्रस्तुतियों में शामिल हो जाएगी । फिलहाल इस प्रस्तुति में लगभग सभी कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता का सर्वोत्तम देने की कोशिश की । आलोक नायर ,शैलेश श्रीवास्तव जैसे अनुभवी कलाकार नाटक की गति को बराबर बनाए रहे । पूरी प्रस्तुति मंच पर 3 ज़ोन के दायरे मे विभजित थी । ये ज़ोन इतने पास पास थे क़ि एक ज़ोन की गतिविधि का एहसास दूसरे ज़ोन मे महसूस किया जा सकता था । संगीत पक्ष पर आगे की प्रस्तुतियों में फिर से विचार करना चाहिए । इसी तरह प्रकाश संचालन मेँं भी तार्किक रचनात्मकता का अभाव था । मंच पर  प्रकाश था  लेकिन प्रकाश परिकल्पना  नहीं थी । यह सारी चीजें धीरे-धीरे दुरुस्त होती चलती है इसलिए इन्हें लेकर मंच पर प्रयोग चलते रहेंगे और ऐसा करने के लिए रितिका अवस्थी पूरी तरह समर्थ है । ऑल इंडिया न्यू थिएटर इस प्रस्तुति की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता है । रितिका के प्रयास से एक नया नाटक हिंदी नाटकों की फेहरिस्त में ससम्मान शामिल हुआ है । डॉक्टर धर्मवीर भारती का यह उपन्यास छोटी छोटी घटनाओं की स्मृतियों का कोलाज है जो अपने समय के प्रेम से जुड़े मूल्यों की पड़ताल करता है । यह नाटक एक बार फिर वैचारिक स्तर पर सोचने के लिए विवश करेगा । रितिका अवस्थी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।  उन्होंने एक बड़े काम का शुभारंभ किया है और नए रंगकर्मियों के लिए प्रेरणा के सूत्र दिए है ।
** समीक्षक / अजामिल
** सभी चित्र / विकास चौहान

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